Monday, December 23, 2013

तुमसे दूर

तुमसे दूर जाने के लिए निकला था और तुम से बहुत दूर आ भी गया था
पर सच में तुमसे दूर हो पाया था क्या ये एक बड़ा सवाल था
तुमसे इतना दूर हूँ फिर भी लगता है जैसे तुम हर पल मेरे पास हो मेरे साथ हो
लगता है जैसे मेरी हर बात का ख्याल तुम रखती हो
कब दवाई खानी है कैसे अपनी सेहत का ख्याल रखना है सब तुम बता देती हो
जब भी चाय बनाता हूँ लगता है मिठास तुम ने घोल दी है
चाय के कप से भी तुम्हारे हाथो कि महक आती है
मेरे हर काम में जाने कैसे तुम्हारा एहसास महसूस होता है
मेरे आस पास कि हवा में भी तुम्हारी खुशबू होती है
बस यही एक उलझन है जिस से आज तक निकल नहीं पाया हूँ
अगर तुम इतनी दूर हो तो फिर इतने करीब कैसे
और इतने करीब तो फिर इतनी दूर कैसे

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