Wednesday, June 24, 2015

वो हो तुम

सूखी मिटी में जो खुशबु भर दे वो हो तुम
भीगे गीले मौसम में गरम चाय हो तुम
हर किसी की आँखों का इंतज़ार हो तुम
पेड़ो के पत्तो को जो एक नया सुन्हेरा रंग दे वो हो तुम
बारिश के पानी में इठलाती बलखाती कागज की नाव हो
तुम उदास मायूस चेहरे पे जो ख़ुशी ला दे वो हो तुम
किसी हसीं के गालो पे रुकी हुई बारिश की वो इक बूँद हो तुम
बंज़र ज़मीन में जो एक नया जीवन भर दे वो हो तुम
झुठ मुठ रूठे हुए छोटे बच्चे की नटखट मुस्कान हो तुम
घनी बारिश लिए पिले सूरज की सांज हो तुम
पांच रोज़ी नमाज़ी का ईमान हो तुम
बेरंग चीज़ों में जो रंग बिरंगे रंग भर दे वो हो तुम
आसमान के कैनवास पे जो अपनी छठा बिखेर दे वो हो तुम
जिस की अदा ओ पे ग़ज़ल लिखी जा सके वो हो तुम
जिस की नज़ाकत नफासत पे दुनिया कायल जो जाये वो हो
तुम दीवानो को जो दीवानगी सीखा दे वो हो तुम
जिस को देख के दिल में एक गुद गुदी हो जाये वो हो तुम

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