Tuesday, June 16, 2015

सपनो से वफ़ा

तेरे लिए रुक जाने में कोई हर्ज़ नहीं है
अब तक तो तुझे जीता आया ही था कुछ और जी लेता तो भी शायद कुछ न बदलता
पर अब कुछ समय खुद को खुद में जीना चाहता हूँ
पर खुद से कभी वादा किया था कभी रुकुंगा नहीं
चाहे जो भी हो बस चलता रहूँगा
ऐसा नहीं की अब तुम्हारी लिए मेरी भावनाए बदल गयी है
आज भी तुमसे वही मोहबत वही तालुक़ात है मेरे दिल के
लेकिन ये जो मेरे सपने है उनका भी अपना एक अस्तित्व है
अब कुछ पल उनको जिन चाहता हूँ
तुझे से बेवफाई का कोई इरादा नहीं है और ना कभी कर पाउँगा
बस अब खुद से खुद के सपनो से वफ़ा करना चाहता हूँ

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