Monday, March 10, 2014

इश्क़ कि बारिश

" मेरे जीवन कि तपती धूप में आप काली घटाओं कि बदली है
जब कभी मैं तपता हूँ आप मुझे अपनी इश्क़ कि बारिश से भिगाती है
मैं भीगता हूँ गिला होता हूँ कभी सूखता नहीं
अजीब है ये आप के इश्क़ का पानी मेरा बदन छोड़ता ही नहीं
कितना भी सुखाने कि कोशिश करता हूँ सूखता नहीं
ये आप के इश्क़ का पानी अपना रंग छोड़ता नहीं "

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