Tuesday, September 27, 2016

Dairy Page : 26/09/2016

मैं और रचना जी लंबे अरसे से साथ हैं। पर रोज़ जैसे रचना जी की एक-एक खूबियों से वाकिफ होता हूँ। कल रात की ही बात ले लो, हम दोनों ने साथ खाना खाया, जो कि रचना जी ने ही अपने हाथों से मुझे खिलाया। उसके बाद रचना जी चली गईं अपना किचन समेटने के लिए। और इधर मैं लग गया अपने लैपटॉप पर काम करने के लिए, पर अंदर ही अंदर ख्वाहिश थी कि रचना जी हमारे पास आकर बैठें। इतने में ही रचना जी हमें सरप्राइज कर के हमारे पास आ गईं, मेरे गालों पर अपनी नरम हथेली को रखकर बोलीं, "राजू जी, कितना काम करोगे, अब आराम भी कर लो।" और धीरे से लैपटॉप की स्क्रीन बंद कर के मेरा सर अपनी गोद में ले लिया और मेरे बालों को अपनी उंगलियों से सहलाने लगीं। रचना जी कभी कह नहीं पाईं आपसे, लेकिन this is the best feeling in the world for me। आपको बताऊं, आपकी उन नरम हथेलियों का वो एहसास, वो आपकी हथेलियों से आती आपकी खुशबू हम हमेशा महसूस करते हैं। आपसे कितना भी प्यार और फ़िक्र मिले, लेकिन लगता है और मिले। बस यही है मेरी रचना जी, पता नहीं कैसे दिल की बात समझ लेती हैं, लगता है जैसे मेरा दिल और दिमाग उनके जिस्म में है। शायद यही तो वो मोहब्बत है जो आजकल के ज़माने में गुमशुदा है। रचना जी साथ होती हैं तो खुद पर गर्व करने लगता हूँ। लगता है जैसे दुनिया के सबसे खुशकिस्मत इंसान हूँ।

Thank you रचना जी, मुझे इतना बेइंतेहा प्यार करने के लिए।

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