Wednesday, July 6, 2016

तसल्ली


माना आप से मोहबत की थी बेपनाह 
पर बदले में कुछ माँगा नहीं था 
सारी खुशी तुम्हारे नाम लिखी थी
दुखो का हिसाब मेरे पास रखा था
आप से कभी कोई उम्मीद नहीं रखी थी
पर आप की कोई उम्मीद नाउम्मीद नहीं की थी
दुःख तड़प दर्द सब मेरे सीने के बाशिंदे थे
तुम्हारे हृदय को सिर्फ प्यार से सींचा था
तुम को चाहने के लिए दुनिया को छोड़ चूका था
तुमसे सिर्फ एक तसल्ली चाहता था
तसल्ली की तुम्हारे दिल में कहीं एक ख्याल मेरा भी था
कहीं किसी कोने में दबी हुई सहमी हुई एक फ़िक्र मेरे लिए भी थी
धुंधली ही सही पर मुझे एक झलक देखने की आस तुम्हारी आँखों को भी थी
आँशु का एक कतरा आँखों के किसी कोने में मेरी तक़लीफ़ के लिए था
तुम्हारी बनायीं हुई रोटी में एक निवाला मेरे लिए भी था
तुम्हारी किसी हिचकी में मेरी एक याद थी
तुम्हारे लबो पे कभी पुकारने के लिए मेरा नाम भी था
तुम्हारे गहनों के डब्बे में मेरे नाम लिखा एक ख़त तो था
जो बातें तुम मुझ से से कह नहीं पायी जो बातें मैं तुमसे सुन नहीं पाया
वो सारी बातों का ज़िक्र तुम्हारी डायरी में था
तुम्हारी अलमारी में मेरी पसंद की हुई साड़ी आज भी थी
मैं तुम्हारे लिए रोज़ मर रहा था
और तसल्ली ये की तुम मेरे लिए जिए जा रही थी

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