Friday, July 22, 2016

You

I wish to love you like, nobody has ever loved you.
I wish to kiss you like, nobody has ever kissed you.
I wish to hug you like, nobody has ever hugged you.
I wish to make you smile like, nobody has ever made you smiled.
I wish to care for you like, nobody has ever cared for you.
I know you are married, but what your marital status has to do with my true feelings.
It's the true & pure love for you in my heart, which I am expressing.
I have two options, one is burying my feelings deep in my heart & live with a regret.
Second is to open my heart, let the feelings flow like a river.
I choose the second option.
My love for you is beyond the norms set by society,
But why should I adhere to the norms of society.
I & You have been awarded with just one life,
And I want to make the life count.
You respect my feelings or not that's up to you.
but by expressing my love for you, I have raised my stature in my eyes.
I can now face the mirror, where I will see my face brimming with courage
with no traces of fear & unapologetic love for you in my eyes.

Friday, July 15, 2016

शेख़ भाई की चाय

" फिर बारिश के मौसम में बरसते पानी को देख कुछ पुरानी यादों को ताज़ा कर तुझे याद कर लेना मेरा
तेरी एक झलक देखने के लिए भीगे भीगे शेख़ भाई की टपरी पे पहुंचना मेरा
कांच की गिलास में गरम गरम चाय की चुस्की लेते हुए
रेनकोट में सिमटी हुई बारिश की कुछ कुछ बूँदे चेहरे पे लिए हुए स्कूटी पे पीछे बैठे हुए दिख जाना तेरा
दुआ कबूल हो जाने की ख़ुशी में फिर सब दोस्तों के लिए कसीस वाली चाय का आर्डर देना मेरा
बिना किसी रिश्ते के भीगे मौसम में यूँ तुमसे रिश्ता बन जाना मेरा "

Wednesday, July 6, 2016

तसल्ली


माना आप से मोहबत की थी बेपनाह 
पर बदले में कुछ माँगा नहीं था 
सारी खुशी तुम्हारे नाम लिखी थी
दुखो का हिसाब मेरे पास रखा था
आप से कभी कोई उम्मीद नहीं रखी थी
पर आप की कोई उम्मीद नाउम्मीद नहीं की थी
दुःख तड़प दर्द सब मेरे सीने के बाशिंदे थे
तुम्हारे हृदय को सिर्फ प्यार से सींचा था
तुम को चाहने के लिए दुनिया को छोड़ चूका था
तुमसे सिर्फ एक तसल्ली चाहता था
तसल्ली की तुम्हारे दिल में कहीं एक ख्याल मेरा भी था
कहीं किसी कोने में दबी हुई सहमी हुई एक फ़िक्र मेरे लिए भी थी
धुंधली ही सही पर मुझे एक झलक देखने की आस तुम्हारी आँखों को भी थी
आँशु का एक कतरा आँखों के किसी कोने में मेरी तक़लीफ़ के लिए था
तुम्हारी बनायीं हुई रोटी में एक निवाला मेरे लिए भी था
तुम्हारी किसी हिचकी में मेरी एक याद थी
तुम्हारे लबो पे कभी पुकारने के लिए मेरा नाम भी था
तुम्हारे गहनों के डब्बे में मेरे नाम लिखा एक ख़त तो था
जो बातें तुम मुझ से से कह नहीं पायी जो बातें मैं तुमसे सुन नहीं पाया
वो सारी बातों का ज़िक्र तुम्हारी डायरी में था
तुम्हारी अलमारी में मेरी पसंद की हुई साड़ी आज भी थी
मैं तुम्हारे लिए रोज़ मर रहा था
और तसल्ली ये की तुम मेरे लिए जिए जा रही थी

Sunday, July 3, 2016

रोज़ रोज़ अपने दिल को यूँ समझाना अब मुनासिब नहीं ।

हम फिर आज वही आ गए जहां से शुरू किये थे... मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था , आप खुश थी या आप की फिर कोई और ही मज़बूरी थी । कुछ बदले बदले हालात हो गए थे , आप के और मेरे दरमियाँ ।
एक बात तो तय थी मेरी भावनाएं जहां थी आप वहाँ तक पहुंच ही नहीं पाई थी
आप भी दुनिया के मायनो पे चल थी सिर्फ ऊपरी सतह पे , आप मेरे इश्क़ मेरी मोह्बत की गहराई समझ ही नहीं पाई ।
या फिर समझ के भी नासमझ बन गयी । कसूर किसका था मेरा , मेरी मोह्बत का या मैं गलत सदी में आ गया था ।
आप वो तो नहीं रही जिस से मुझे इश्क़ हुआ था । आज जानता हूँ आप बहुत दूर जा चुकी है , दिल तो बहुत बार करता है आप को रोक लू , अपने आप से दूर जाने ना दू । लेकिन ये भी समझता हूँ मैं आप का कुछ भी नहीं , आप रुक भी गयी तो मेरी होकर नहीं रह सकती । ऐसे में आप को पा भी लिया तो क्या , हासिल करना ही तो मतलब नहीं ।
मुझे आप का साथ चाहिए जरूर था लेकिन ऐसे नहीं । आप का साथ ऐसे चाहिए था की हम दोनों में शब्दों की जरुरत ना हो , मैं कुछ ना बोलू और आप समझ जाये , आप कुछ ना बोले और मैं समझ जाऊ ।
पर अफ़सोस मुझे हर बार शब्दों का सहारा लेना पड़ा ।
आप के साथ ऐसे रहने से बेहतर होगा मैं आप से दूर चला जाऊ , ताकि मेरे ख्वाबो ख्यालो में जो आप की तस्वीर है वो बरक़रार रहे ।
रोज़ रोज़ अपने दिल को यूँ समझाना अब मुनासिब नहीं ।