की आप को देख कर मोह्बत की जा सके
आप को देख कर साँसे थम जाती है लगता है बार बार आप को ही देखते रहू
जाने कितनी बार भी देख लो मन ही नहीं भरता
दिल में कसक रह जाती है फिर एक बार आप को देखने के लिए
आप से मोह्बत होने ने बाद फिर किसी और से मोह्बत नहीं हो सकती है
दिल में आप के लिए जो जगह है वो इस जनम में तो कोई और ले नहीं सकता
ज़िन्दगी में जो एक ही हसरत है वो है आप को अपने सामने बैठा कर के जी भर देख ने की
कभी कभी डर भी तो लगता है कहीं आप को मेरी नज़र तो नहीं लगेगी
फिर मेरी पाक मोह्बत ही मुझे से कहती है इश्क़ को भी कभी क्या इश्क़ की नज़र लगी है
कभी कभी ऐसा भी ख्याल आता है काश मैं भी आप के जीवनसाथी की तरह किस्मत वाला होता
आप मेरी होती और मैं आप का होता
सारी ज़िन्दगी आप को सिर्फ अपनी नज़रो से छूता ,आप को अपने हाथो से छू लेने की भी गुस्ताखी न करता
बस सारी ज़िन्दगी अपनी आँखो से आप के लिए ग़ज़ल लिखता जो आप अपनी नज़रो से
पढ़ती
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