आप को देख देख के सोचा करता था ये लड़की का नाम क्या होगा , इस की आवाज़ कैसी होगी। इस से बात करूँगा तो कैसा लगेगा , क्या बात करूँगा । न जाने कितने दिन लगा दिए इसी सोच में । फिर पता किया तो आप हमारी ही क्लास में दिख गयी । फिर सोचा अब तो काम बन ही जायेगा और कुछ भी कर के आप से बात जरूर कर लेंगे |
बस फिर क्या था रोज़ नए बहाने खोजे जाने लगे और फिर वो दिन भी आ गया जब आप से पहेली बार बात हुई ।
हाय कितनी प्यारी आवाज़ थी ,कितनी हया थी बातों में जैसा सोचा था उस से भी बढ़कर थी आवाज़
आज भी उसी आवाज़ की मदहोशी में डूबा हुआ हूँ ।
बस फिर भी एक आखिरी तमना है आप के उस स्कार्फ को छू लू ,उस की खुशबु मैं सांस ले सकु | "
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