RAJU R UPRADE
WRITER AND POET FROM HEART.
Sunday, March 10, 2013
aap ke liye
वो कहती है कुछ जज़्बात कहे नहीं जाते
और हम ये मानते है सच्ची मोहबत से भरे जज्बात दिल ही दिल में रखे नहीं जाते
वो भी अपनी जगह सही है और हम भी
वो पृथ्वी का रूप हर बात अपने गर्भ में रखे हुए
और हम बादल पृथ्वी की तड़प देख बिना बरसे रह नहीं सकते
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